SRIDHAR VEMBU का भारत-चीन तुलना पर विशेष लेख
- SHUBHAM SONI
- DATE- 21/04/2025
भारत के प्रमुख टेक उद्यमी और Zoho के संस्थापक SRIDHAR VEMBU ने हाल ही में एक विचारोत्तेजक संदेश में भारत के विकास की दिशा पर गहन विचार प्रस्तुत किया है। SRIDHAR VEMBU मानना है कि भारत को केवल आर्थिक विकास तक सीमित न रहकर, एक समृद्ध सभ्यता के पुनरुत्थान की दिशा में अग्रसर होना चाहिए, जैसा कि चीन ने किया।
चीन: केवल अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि सभ्यता का पुनरुद्धार
SRIDHAR VEMBU के अनुसार, चीन ने अपने विकास को केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे “महान सभ्यता के पुनरुद्धार” के रूप में देखा। उन्होंने जापान और कोरिया का भी उदाहरण दिया, जिन्होंने सांस्कृतिक और आर्थिक जागृति के माध्यम से वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई।
भारत: आसान राह, लेकिन गहरी सोच की आवश्यकता
SRIDHAR VEMBU का मानना है कि भारत ने चीन की तुलना में अपेक्षाकृत आसान राह पर प्रगति की है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत और सभ्यतागत मूल्यों को पुनः जागृत करें। उन्होंने कहा, “हम केवल GDP बढ़ाने और तिमाही आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते; हमें यह मानना होगा कि हम एक महान सभ्यता के पुनरुत्थान की शुरुआत में हैं।”
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भारत और चीन: आर्थिक तुलना
संकेतक | भारत (2024) | चीन (2024) |
GDP (नॉमिनल) | $3.89 ट्रिलियन | $18.27 ट्रिलियन |
GDP (PPP) | $16.02 ट्रिलियन | $37.07 ट्रिलियन |
प्रति व्यक्ति GDP | $10,123 | $25,015 |
विनिर्माण का GDP में हिस्सा | 15.8% | 26.4% |
गरीबी दर | ~25% | ~5% |
मानसिकता में परिवर्तन की आवश्यकता
SRIDHAR VEMBU का तर्क है कि जब नागरिक अपने देश को केवल एक अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं, बल्कि एक पुनरुत्थानशील सभ्यता के रूप में देखते हैं, तो वे प्रणाली की कमियों के बावजूद उसमें विश्वास बनाए रखते हैं। उन्होंने चीन के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि वहां के उद्यमियों ने राजनीतिक जोखिमों के बावजूद अपने लक्ष्यों को नहीं छोड़ा।
भारत के लिए चेतावनी: चीनी वस्तुओं की बाढ़
SRIDHAR VEMBU ने चेतावनी दी है कि यदि भारत ने तेजी से निर्माण नहीं किया, तो उसे चीनी वस्तुओं की बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
भारत के लिए आगे की राह
भारत को केवल आर्थिक विकास तक सीमित न रहकर, अपनी सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत को पुनः जागृत करना होगा। वेंबू का संदेश स्पष्ट है: “आइए हम यह संकल्प लें कि हम जिस पर काम कर रहे हैं, वह हमारी महान सभ्यता के पुनरुत्थान से कम नहीं है।”
Zoho के संस्थापक: श्रीधर वेंबू (Sridhar Vembu)
जीवन परिचय
श्रीधर वेंबू का जन्म 1968 में तमिलनाडु के तेनकासी जिले के छोटे से गाँव प्रतापपुरम में हुआ। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे, जबकि माता गृहिणी थीं। उनका बचपन साधारण परिवेश में बीता, लेकिन शिक्षा के प्रति गहरी रुचि ने उन्हें IIT मद्रास और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी तक पहुँचाया। आज भी वे अपने गाँव से जुड़े हुए हैं और Zoho का एक कैंपस तेनकासी में स्थापित किया है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलता है। उनकी सफलता में उनके साधारण पारिवारिक मूल्यों और ग्रामीण भारत के प्रति प्रेम की बड़ी भूमिका है।
- जन्म: 1968, तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में।
- शिक्षा: IIT मद्रास से B.Tech, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (USA) से PhD।
- करियर: क्वालकॉम जैसी कंपनियों में काम किया, फिर 1996 में Zoho की स्थापना की।
Zoho की सफलता की कहानी
- शुरुआत: एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी (AdventNet) के रूप में।
- बदलाव: 2009 में Zoho नाम से क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर बनाना शुरू किया।
- आज की स्थिति:
- 80+ देशों में 80 मिलियन+ यूजर्स।
- Google और Microsoft का प्रतिद्वंद्वी (Zoho Mail, CRM, Office Suite)।
- बिना फंडिंग के सफलता (Bootstrapped Company)।
श्रीधर वेंबू की विशेषताएँ
✔ गाँवों में विकास पर जोर: Zoho के कई ऑफिस छोटे शहरों/गाँवों में हैं।
✔ “मेड इन इंडिया” का समर्थन: विदेशी निवेश पर निर्भर नहीं।
✔ सामाजिक उद्यमिता: Zoho Schools के जरिए ग्रामीण युवाओं को निःशुल्क शिक्षा।
पुरस्कार एवं सम्मान
- 2020 में पद्म श्री से सम्मानित।
- भारत के सबसे धनी टेक उद्यमियों में शामिल।
SRIDHAR VEMBU ने साबित किया कि बिना वेंचर कैपिटल के भी भारत से ग्लोबल कंपनी बनाई जा सकती है। उनका फोकस ग्रामीण विकास, शिक्षा और “स्वदेशी टेक” पर है, जो उन्हें अन्य उद्यमियों से अलग बनाता है।
धन्यवाद
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